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(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)
हल्द्वानी, (संवाद-सूत्र)। अब तो जेल में बंद कैदियों और बंदियों को दाल फ्राई परोसी जाएगी और सेहत बनाने के लिए देसी घी भी खिलाया जाएगा। हालांकि अगर सिर्फ घी का हिसाब जोड़ें तो जेल प्रशासन को हर माह घी पर ही करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च करने होंगे।
नई उत्तराखंड नियमावली 2023 लागू कर दी गई है और इस नियमावली में कैदियों और बंदियों की सेहत को खास तवज्जो दी गई है। नई नियमावली के मुताबिक अब जेल में बंद बंदियों और कैदियों को पोषक आहार परोसा जाना है। जिसके तहत हर कैदी और बंदी को हर रोज 5 ग्राम देसी घी दिया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। सिर्फ उप कारागार हल्द्वानी की बात करें तो इसकी क्षमता साढ़े 5 सौ से कुछ ज्यादा है, लेकिन यहां 15 सौ बंदी और कैदी से कम कभी नहीं रहते।
    कभी-कभी तो ये संख्या 18 सौ के पार चली जाती है। मौजूदा वक्त में देसी घी का दाम साढ़े छह सौ रुपये के आस-पास है। अब अगर 5 ग्राम घी प्रति बंदी का हिसाब लगाएं तो 15 सौ कैदियों व बंदियों के लिए हर रोज साढ़े 7 हजार ग्राम घी यानी साढ़े 7 किग्रा देसी घी जेल प्रशासन को हर रोज चाहिए। इस लिहाज से जेल प्रशासन को हर रोज करीब 48 सौ रुपये खर्च करने होंगे और अगर महीने का हिसाब लगाएं तो 15 सौ बंदी व कैदी पर जेल प्रशासन को सवा लाख रुपये से ज्यााद खर्च करना होगा।
      बहरहाल, ये सिर्फ देसी घी की बात थी। इसके अतिरिक्त प्रति बंदी व कैदी को प्रति दिन 25 ग्राम प्याज, दो ग्राम लहसुन, तीन ग्राम जीरा और टमाटर देना होगा। साथ ही मसालों में हल्दी, मिर्च, सब्जी मसाले को एक ग्राम से बढ़ाकर दो ग्राम कर दिया गया है। जबकि डायबिटीज वाले मरीजों को सप्ताह में दो अंडे और 60 मिली लीटर दूध रोज पीने को मिलेगा। उत्तराखंड कारागार नियमावली को 14 नवंबर से प्रदेश की सभी जेलों में लागू कर दिया गया है।
नियमावली बदली तो बदल गया खाने का स्वाद
 उत्तराखंड राज्य गठन को भले ही 23 साल हो गए हैं और अब से पहले राज्य की जेलों पर उत्तर प्रदेश कारागार नियमावली ही चलती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब उत्तराखंड कारागार नियमावली 2023 बन चुकी है। पहले उत्तर प्रदेश की नियमावली के आधार पर ही बंदियों और कैदियों को भोजन परोसा जाता था। नई नियमावली के साथ अब बंदियों और कैदियों को न सिर्फ खाने में स्वाद मिलेगा बल्कि पोषक तत्व भी मिलेंगे। बता दें कि पुरानी नियमावली के तहत अभी तक जेल के खाने में लहसुन, प्याज, जीरा, टमाटर और घी नहीं डाला जाता था।

बच्चों और गर्भवतियों को हर रोज मिलेगा दूध

     नई नियमावली के मुताबिक अब मां या अन्य परिजनों के साथ जेल में रह रहे चार साल से छह साल तक के बच्चों को 500 एमएल दूध तीन टाइम दिया जाएगा। इसके अलावा गर्भवतियों को प्रतिदिन दूध मिलेगा। इसी के साथ तीन ग्राम चायपत्ती, 50 ग्राम गुड़ प्रति दिन दिया जाएगा। जब गर्मियों का सीजन शुरू होगा तो अप्रैल से जून तक 20 ग्राम नीबू भी दिया जाएगा। खाने-पीने के साथ ही जेलों में साफ-सफाई पर भी खास ध्यान दिया जाना है। इसे लेकर भी उत्तराखंड कारागार नियमावली 2023 में खास दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
उत्तराखंड कारागार नियमावली 2023 लागू हो चुकी है। जिसके तहत अब कैदियों को पोषक भोजन दिया जाना है। उप कारागार में भी नई नियमावली के तहत काम शुरू कर दिया गया है:- प्रमोद पांडेय, जेल अधीक्षक, उप कारागार हल्द्वानी


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कृष्णा वार्ता, गदरपुर

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