
(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)
रुद्रपुर (संवाद सूत्र)। जाली मोहर लगाकर फर्जी प्रमाणपत्र बनाने का आरोपी दोषमुक्त हो गया। अक्तूबर 2018 में निचली अदालत से दो साल के कारावास और दो हजार रुपये के जुर्माने से दंडित दोषी ने तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद सत्र न्यायाधीश मीना देउपा ने आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
वर्ष 2010 में कोतवाली पुलिस ने ग्राम हतवा पोस्ट व थाना कटनी जिला देवरिया उत्तर प्रदेश निवासी पंकज श्रीवास्तव, ग्राम फीलनगर नगरिया थाना मीरानपुर कटरा जिला शाहजहांपुर निवासी भानु प्रताप गंगवार व इसी जिले के थाना मीरनपुर के ग्राम शेरपुर गोधन लाल को रोडवेज परिसर से पकड़ा था। उनके कब्जे से जाली मोहरें व फर्जी प्रमाणपत्र मिले थे। आरोपियों ने आईआईटी की फर्जी डिग्री व फर्जी मोहरें बनवाकर प्रमाणपत्रों में लगाकर जाली प्रमाण पत्र तैयार सिडकुल की फैक्टरियों में नौकरी के लिए बेरोजगारों को मुहैया कराने की बात कबूली थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
निचली अदालत ने दो वर्ष की सुनाई थी सजा
कोर्ट में सुनवाई के बाद साल 2018 में पंकज श्रीवास्तव को दो वर्ष की कारावास व दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत से सजा के खिलाफ पंकज ने तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में अपील की। सुनवाई करते हुए तृतीय अपर जिला जज मीना देउपा ने दोषसिद्ध के निर्णय व दंडादेश को निरस्त कर आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।