
(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)
गदरपुर/गूलरभोज। गूूलरभोज में स्विमिंग पूल में 7 साल की मासूम बच्ची की मौत ने स्विमिंग पूल पर कई सवाल खड़े किये।
गर्मियों के मौसम में जहां एक ओर स्विमिंग पूल, जिसे वाटर पार्क के नाम से भी जाने जाते है, बच्चों और युवाओं के लिए मौज-मस्ती का केंद्र बने हुए हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा मानकों की अनदेखी प्रशासन और आमजन के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है। गांव, नगर व कस्बे क्षेत्र के कई निजी स्विमिंग पूलों में न तो प्रशिक्षित लाइफगार्ड हैं, न ही प्राथमिक उपचार की सुविधा उपलब्ध है। कई जगह से मोबाइल व अन्य सामान चोरी होने और आएदिन लड़ाई-झगड़े होने की सूचना मिलती है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कई पूलों में जल शुद्धिकरण की प्रक्रिया भी नियमित नहीं हो रही है, जिससे त्वचा रोगों और संक्रमणों का खतरा बना हुआ है। बच्चों के लिए अलग पूल की व्यवस्था भी अधिकांश स्थानों पर नहीं की गई है, जिससे हादसों की आशंका और बढ़ जाती है।
स्विमिंग पूल चलाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, अग्निशमन और नगर निगम की अनुमति आवश्यक होती है, लेकिन कई संचालक बिना किसी वैध अनुमति के यह व्यवसाय चला रहे हैं। सुरक्षा उपकरण जैसे लाइफ जैकेट, फ्लोटिंग रिंग, सीसीटीवी कैमरे और प्रशिक्षित स्टाफ की उपस्थिति भी अधिकांश पूलों में नदारद है। मानक अनुरूप पूल में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से हमेशा जान का खतरा बना रहता है। प्रशासन को सख्ती करनी चाहिए।
मौजूदा समय में तैराकी जैसे खेल प्रतिस्पर्धा का क्रेज बढ़ा है, लेकिन सुरक्षा के मूलभूत मानकों की अनदेखी आम होती जा रही है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस लापरवाही पर लगाम लगाता है और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।