
(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)
पंतनगर (संवाद सूत्र)। पंतनगर विवि में 40 बिस्तरों के अस्पताल का हाल आपको सोचने पर मजबूर कर देगा। लापरवाही का आलम यह है कि इस चिकित्सालय का पंजीकरण तक नहीं हुआ है। एक ही मशीन पर इंसानों और जानवरों का एक्सरे किया जा रहा है। स्टाफ की कमी से भी दिक्कतें बढ़ गई हैं। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को डॉक्टर के अभाव में दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जा रहा है।
जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि की स्थापना के समय से ही परिसर में डिस्पेंसरी खोलकर चिकित्सा व्यवस्था शुरू की गई थी। ऐसे में वर्ष 2015 में अस्थायी रूप से पंजीकृत और वर्तमान में 40 बेड का अस्पताल बन चुकी इस व्यवस्था पर विवि परिसर में रहने वाले लगभग 22 हजार लोग निर्भर हैं। वहीं वर्ष 2014 में एक पूर्व छात्र ने विवि चिकित्सालय को एक वेंटिलेटर और काॅर्डियक एंबुलेंस भेंट की थी।
अस्पताल में एंबुलेंस सहित वेंटीलेटर जैसे महंगे उपकरण तो मौजूद हैं, पर इन्हें संचालित करने वाला कोई तकनीकी स्टाफ नहीं है। इसके चलते यह बर्बाद होने के कगार पर पहुंच रहे है। कुछ साल पहले मुंबई हॉस्पिटल ने विवि चिकित्सालय को तकनीकी स्टाफ की तैनाती करने का एक प्रस्ताव भेजा था, जिसके एवज में उन्हें किराए पर काॅर्डियक एंबुलेंस का उपयोग करना था। ऐसे में विवि प्रशासन की ओर से प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया और देखते ही देखते एंबुलेंस में लगे उपकरण और वेंटीलेटर खराब होकर स्टोर में पहुंच गए।
अस्पताल की कमान पशु डॉक्टर को
विवि में चिकित्सालय बिना पंजीकरण के ही चल रहा है, जिसकी कमान पिछले करीब 10 वर्षों से किसी न किसी पशु वैज्ञानिक के हाथ बनी हुई है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यहां पहुंचने वाले मरीजों का एक्सरे पशु चिकित्सालय में लगी पशुओं की एक्सरे मशीन पर किया जा रहा है। जिससे मरीजों में संक्रमण व गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा भी बना रहता है। चिकित्सालय में गहन चिकित्सा कक्ष, कार्डियक एंबुलेंस, ईसीजी उपकरण, इंसुलिन मोटराइज्ड इंजेक्टर सहित वेंटिलेटर भी मौजूद है, ऐसे में तकनीकी स्टाफ के अभाव में यह शोपीस बनकर रह गए हैं।
कोई सेवा नियमावली नहीं
अस्पताल में कोई सेवा नियमावली नहीं होने के कारण डॉक्टर चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यभार ग्रहण कर उसी पद से सेवानिवृत्त हो जाते हैं। सिर्फ बीच-बीच में वेतनमान में प्रोन्नति होती रहती है। बीते कुछ वर्षों में डाॅक्टरों के सेवानिवृत्त होने पर हाल ही में यहां नियत मानदेय (56 हजार रुपये) पर दो डाॅक्टरों को नियुक्ति दी गई है। आवश्यकता पड़ने पर इन डॉक्टरों से 24 घंटे की ड्यूटी भी कराई जाती है।
विवि चिकित्सालय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तर्ज पर कार्य कर रहा है। जिसको मौजूदा संसाधनों में ही इसे उच्चीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही इसके पंजीकरण की प्रक्रिया भी गतिमान है। इंसान और जानवरों के अंगों का एक्सरे एक ही मशीन पर हो रहा है। जिसमें किसी प्रकार का संक्रमण नहीं फैले, इसका ध्यान रखा जाता है। हां तकनीकी स्टाफ नहीं होने से बहुत सारे उपकरणों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। जिसके लिए शासन से पत्राचार किया जा रहा है : पी. प्रभाकरन, प्रभारी-विवि चिकित्सालय।

