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क़ुरान में तब्दीली की गुंजाइश नहीं: मुफ़्ती आलम
जामा मस्जिद में जश्ने-क़ुरान में उलेमा ने की तक़रीर, नसीहत भी दी
गदरपुर:- क़ुरान मुक़द्दस क़लाम-ए-इलाही है। नाज़िल होने कि बाद से आज तक क़ुरान में कोई बदलाव नहीं है और ना ही इसमें कोई तब्दीली की जा सकती है।
यह बात बृहस्पतिवार की रात जामा मस्ज़िद में जश्ने-क़ुरान कार्यक्रम में ख़िताब कर रहे मुफ़्ती जनाबे आलम साहब ने अपनी तक़रीर में कही। यहाँ रमज़ान की 27वी शब में तरावीह में क़ुरान मुक़म्मल हुआ जिसमे हाफिज मुराद अली ने क़ुरान सुनाया और जामा मस्ज़िद के पेशे इमाम कारी जाने आलम ने सुना। उन्होंने ने कहा कि क़ुरान ज़िंदगी जीने का तरीक़ा सिखाता है। क़ुरान सीखें, पढ़ें, और इसकी बातों पर अमल करें। इस दौरान मस्जिद सदर मो ज़फ़र, हाज़ी शाहिद ख़ान, सामाजिक कार्यकर्ता, अक़ील रज़ा, ज़ाकिर हुसैन, शाहिद अली, जुल्फ़िकार अली, मुज़फ़्फ़र हुसैन, मो यासीन, नाज़िम पाशा, सोनू, फरमान अली, इंतख़ाब हुसैन, राशिद अली, इबले ठेकेदार, फ़ईम सकलैनी, ख़लील ठेकेदार, मीनू पाशा, इमरान पाशा, एज़ाज़ पाशा, असलम सलमानी, फ़रहीम हुसैन, अकबर अली, रिजवान पाशा, मो आज़म, नईम, जमील अहमद, शहर की मस्जिदों के इमाम उलेमा आदि मौजूद रहे।
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कृष्णा वार्ता, गदरपुर

