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(रिपोर्ट – सागर धमीजा 9837877981)

(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)

गदरपुर। 2006 में विवाह के एक साल बाद पुत्र की प्राप्ति हुई पुत्र को जन्म के साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो रही थी तुरंत उपचार हेतु बरेली एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उपचार के दौरान दिवंगत अर्जुन सात दिन जी कर ईश्वर के श्री चरणो में विलीन हो गया और तत्पश्चात माता पिता के द्वारा अपनी प्रथम संतान के नेत्रदान किए जिससे किन्ही दो बच्चों के अंधेरी आंखो में रोशनी आई जिससे बच्चो को नया जीवन मिला ये देश में ऐतिहासिक घटना बन गई और देश में नेत्रदान के क्षेत्र में एक एक क्रांति आने लगी दिवंगत अर्जुन चावला समाजसेवी 108 कहलाने वाले व प्रान्तीय उद्योग व्यापार मंडल महांमत्री संदीप चावला का पुत्र था, जिसका नाम अर्जुन रखा गया था।

    चावला ने बताया कि “दिवंगत अर्जुन चावला की प्रथम संतान के रूप में थी। उनके जन्म के कुछ ही दिन बाद उन्हें खोना बेहद दर्दनाक था लेकिन नेत्रदान अभियान में सक्रिय रूप से शामिल होने के कारण, हमने उस कठिन समय में ईश्वर की कृपा से अर्जुन की आंखें दान करने का फैसला किया। उन्होंने सरकार से अपने दिवगंत पुत्र व देश के प्रथम सबसे छोटे नेत्रदाता अर्जुन के नाम पर नेत्र बैंक का नाम रखने की मांग की गई थी, उनके द्वारा लगातार हर सम्भव प्रयास किये जा रहे थें, आखिरकार उनकी मेहनत रंग लायी है।
   युवा समाजसेवी ने बताया कि उनके द्वारा सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी, कि उनके दीवगंत पुत्र व देश के प्रथम सबसे छोटे नेत्रदाता अर्जुन को संभवतः सबसे कम उम्र के अंग दाता बने करीब सोलह साल बीत चुके हैं, लेकिन उनके नाम पर एक भी नेत्र बैंक का नाम रखने का प्रस्ताव कभी सामने नहीं आया, लेकिन शिकायत के पश्चात विचारोपरान्त के बाद सचिव डा. राजेश कुमार द्वारा स्वास्थ्य महानिदेशालय को भेजे गए पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि राज्यपाल ने सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल काॅलेज हल्द्वानी में प्रस्तावित नेत्र बैंक का नाम अर्जुन नेत्र बैंक के नाम पर रखने पर अपनी सहमति दे दी है, जिस पर अर्जुन के माता-पिता ने सभी के सहयोग का आभार व्यक्त किया है।


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संपादक- सुरेंद्र चावला उर्फ राजू - 9917322413
रिपोर्टर -सागर धमीजा - 9837877981
कृष्णा वार्ता, गदरपुर

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