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(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)

(संपादक सुरेंद्र चावला उर्फ राजू 9917322413)

रुद्रपुर (संवाद सूत्र)। जिला पूर्ति विभाग भी अपनी कार्यशैली की वजह से चर्चाओं में रहती है। डीएसओ की रिपोर्ट पर डीएम ने चार सस्ता गल्ला दुकान संचालक को 100- 100 क्विंटल राशन गबन प्रकरण में उनकी दुकानें निरस्त कर दी थीं। वहीं, पूर्ति विभाग ने महज दो हजार रुपये का जुर्माना डालकर दुकानों का आवंटन बहाल कर दिया। विभाग की यह कार्यशैली वास्तव में राशन घोटाले को बढ़ावा देगी

कुछ वर्ष पहले तत्कालीन जिला पूर्ति अधिकारी ने रंपुरा, भदईपुरा, गंगापुर के अलावा कई स्थानों पर छापामार कार्रवाई करते हुए सस्ता गल्ला दुकान संचालकों पर 100-100 क्विंटल राशन वितरण में धांधली पकड़ी थी। डीएसओ की रिपोर्ट पर डीएम उदयराज सिंह ने 14 मार्च 2024 को चार दुकानों का लाइसेंस निरस्त कर दिया था और दुकानों को अटैच कर दिया था। करीब आठ माह बाद अचानक डीएसओ विपिन के छुट्टी में जाते ही प्रभारी डीएसओ मलकीत सिंह ने गबन के आरोपी गल्ला संचालकों को दो-दो हजार रुपये का जुर्माना डालकर दुकानों का लाइसेंस फिर से बहाल कर दिया। विभाग की इस मेहरबानी की चर्चा अब कार्डधारकों के अलावा विभाग में भी होने लगी है। सवाल यह उठता है कि वास्तव में सस्ता गल्ला संचालक निर्दोष थे तो डीएसओ ने 100-100 क्विंटल राशन गबन की रिपोर्ट डीएम को क्यों भेजी और निरस्तीकरण होने के आठ माह बाद ऐसे कौन से दस्तावेज सामने आ गए कि डीएम के आदेश पर

निरस्त दुकानों का महज दो-दो हजार का जुर्माना डालकर बहाल कर दिया गया, जबकि बहाल करने वाले प्रभारी डीएसओ इसको नियमानुसार बता रहे हैं।

वहीं, छुट्टी पर गए वर्तमान डीएसओ एवं जांच रिपोर्ट तैयार करने वाले विपिन कुमार बहाली होने से अनभिज्ञता जता रहे हैं।

डीएसओ के आने का इंतजार भी नहीं किया

प्रभारी डीएसओ को ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि डीएसओ के आने तक का इंतजार नहीं किया। सवाल उठ रहा है कि दुकानें बहाल किए जाने से पहले क्या जिलाधिकारी से अवगत कराया था। यह सभी सवाल वास्तव में पूर्ति विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कारण पहले भी डीटीएम नाम से हजारों राशन कार्ड बनाकर करोड़ों का गबन हुआ था और गरीबों के निवाले पर डाका पड़ा था। वह मामला भी काफी चर्चाओं में रहा, लेकिन सभी प्रकरणों में पूर्ति विभाग की मेहरबानी राशन माफियाओं पर रही, गरीब राशन कार्ड

धारकों की सुविधा को नजरअंदाज किया गया।

नियमानुसार जांच रिपोर्ट के बाद निरस्त हुई सस्ता गल्ला दुकान पर दो हजार रुपये का जुर्माना डालकर बहाल की गई है। जिसकी जानकारी डीएम व डीएसओ को दी गई है। कारण लाइसेंस धारक के राशन अधिभार के अनुसार ही जुर्माना डाला जाता है। निरस्त लाइसेंस धारक दो हजार जुर्माना का हकदार था। गबन प्रकरण की जांच डीएसओ ने की थी। मलकीत सिंह, प्रभारी डीएसओ, ऊधमसिंह नगर

कुछ वर्ष पहले मैंने ही रंपुरा, गंगापुर सहित कई स्थानों पर छापामार कार्रवाई की थी। जिसमें चार सस्ता गल्ला दुकानों के खिलाफ राशन गबन का मामला चला और रिपोर्ट के आधार पर मार्च माह में डीएम के आदेश पर लाइसेंस निरस्त किया था। वर्तमान में वह अवकाश पर है और निरस्त दुकानों पर दो-दो हजार का जुर्माना डालकर बहाल कर दिया है। यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अवकाश समाप्त होने के बाद जांच की जाएगी।नगर

कुछ वर्ष पहले मैंने ही रंपुरा, गंगापुर सहित कई स्थानों पर छापामार कार्रवाई की थी। जिसमें चार सस्ता गल्ला दुकानों के खिलाफ राशन गबन का मामला चला और रिपोर्ट के आधार पर मार्च माह में डीएम के आदेश पर लाइसेंस निरस्त किया था। वर्तमान में वह अवकाश पर है और निरस्त दुकानों पर दो-दो हजार का जुर्माना डालकर बहाल कर दिया है। यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अवकाश समाप्त होने के बाद जांच की जाएगी।

– विपिन कुमार, डीएसओ, ऊधमसिंह नगर


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