रिटर्निंग अफसर की यह जिम्मेदारी होगी कि वे प्रत्याशी या राजनीतिक दलों की बैठक, सभा की अनुमति देंगे। वह चुनाव के दौरान कम से कम तीन बार बुलाकर प्रत्याशी के खर्च का मिलान करेंगे। अगर प्रत्याशी व्योरे का निरीक्षण नहीं कराएगा तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी होगा। फिर भी न आया तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा-177 के तहत कार्रवाई की जाएगी।रिटर्निंग अफसर की यह जिम्मेदारी होगी कि वे प्रत्याशी या राजनीतिक दलों की बैठक, सभा की अनुमति देंगे। वह चुनाव के दौरान कम से कम तीन बार बुलाकर प्रत्याशी के खर्च का मिलान करेंगे। अगर प्रत्याशी व्योरे का निरीक्षण नहीं कराएगा तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी होगा। फिर भी न आया तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा-177 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
30 दिन के भीतर देना होगा ब्योरा प्रत्याशियों को चुनाव नतीजे आने के 30 दिन के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष खर्च का पूरा ब्योरा पेश करना होगा।
कि हर उम्मीदवार की ओर से जमा चुनावी खर्च के लेखों का निरीक्षण कर जिला निर्वाचन अधिकारी ये देखेंगे कि सभी दस्तावेज सही हैं या नहीं। अगर नहीं तो उसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को भेजनी होगी। आयोग ऐसे उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर 20 दिन में जवाब मांगेगा। इसके बाद भी खर्च का सही ब्योरा न दिया तो चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देगा।
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कृष्णा वार्ता, गदरपुर