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(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)

(संपादक सुरेंद्र चावल और राजू 9917322413)

देहरादून। (संवाद सूत्र ) निकाय चुनाव में इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने खर्च की सीमा बढ़ाने के साथ ही कड़े नियम भी लागू कर दिए हैं। सभासद सदस्य हो या नगर निगम मेयर प्रत्याशी, चुनावी खर्च का व्योरा प्रमाण के साथ न देने पर आयोग तीन साल का प्रतिबंध लगा देगा। इसके बाद वह कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने अधिकतम निर्वाचन व्यय और लेखा परीक्षक आदेश 2024 जारी किया है। इसमें स्पष्ट प्रावधान किया गया है।

रिटर्निंग अफसर की यह जिम्मेदारी होगी कि वे प्रत्याशी या राजनीतिक दलों की बैठक, सभा की अनुमति देंगे। वह चुनाव के दौरान कम से कम तीन बार बुलाकर प्रत्याशी के खर्च का मिलान करेंगे। अगर प्रत्याशी व्योरे का निरीक्षण नहीं कराएगा तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी होगा। फिर भी न आया तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा-177 के तहत कार्रवाई की जाएगी।रिटर्निंग अफसर की यह जिम्मेदारी होगी कि वे प्रत्याशी या राजनीतिक दलों की बैठक, सभा की अनुमति देंगे। वह चुनाव के दौरान कम से कम तीन बार बुलाकर प्रत्याशी के खर्च का मिलान करेंगे। अगर प्रत्याशी व्योरे का निरीक्षण नहीं कराएगा तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी होगा। फिर भी न आया तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा-177 के तहत कार्रवाई की जाएगी।


30 दिन के भीतर देना होगा ब्योरा प्रत्याशियों को चुनाव नतीजे आने के 30 दिन के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष खर्च का पूरा ब्योरा पेश करना होगा।

कि हर उम्मीदवार की ओर से जमा चुनावी खर्च के लेखों का निरीक्षण कर जिला निर्वाचन अधिकारी ये देखेंगे कि सभी दस्तावेज सही हैं या नहीं। अगर नहीं तो उसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को भेजनी होगी। आयोग ऐसे उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर 20 दिन में जवाब मांगेगा। इसके बाद भी खर्च का सही ब्योरा न दिया तो चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देगा।


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संपादक- सुरेंद्र चावला उर्फ राजू - 9917322413
रिपोर्टर -सागर धमीजा - 9837877981
कृष्णा वार्ता, गदरपुर

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