
(रिपोर्टर सागर धमीजा 9837877981)
(कृष्णा वार्ता गदरपुर उत्तराखंड)
गदरपुर। आवास विकास में आयोजित श्री शिव पार्वती रामलीला की पांचवे मंचीय प्रस्तुति में राम वनवास से रामकेवट संवाद एवं राजा दशरथ मृत्यु तक की लीला का मंचन हुआ।
कलाकारों ने दिखाया कि भगवान राम सहित सीता व लक्ष्मण माताओं एवं पिता दशरथ का आशीर्वाद लेकर वनों में जाते हैं। श्रीराम जब गंगा तट पर पहुंचते है और केवट से नदी पार करने का आग्रह करते हैं तो केवट ने उस दौरान कहता है, “मांगी नाव न केवट आना, कहही तुम्हार मरम मै जाना।” केवट के आग्रह पर श्रीराम ने अपने पैर धुलवाने की सहमति दी। इसके बाद केवट ने श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण को गंगा पार कराया। कलाकारों के इस भावपूर्ण अभिनय ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
तत्पश्वचात वनवास जाते ही राजा दशरथ उनके वियोग में डूब जाते हैं। समूचे अयोध्या नगरी में राम, लक्ष्मण व सीता के वन जाने से शोक की लहर थी। पुत्र वियोग में राजा दशरथ मृत शैय्या पर पड़ जाते हैं। राजा दशरथ को श्रवण कुमार के माता-पिता द्वारा दिए गए अभिशाप का भी आभास होता है। चौदह दिन बाद मंत्री सुमंत अयोध्या लौटे तो राजा दशरथ ने पूछा, सुमंत मेरे राम को साथ लेकर नहीं आए। मंत्री सुमंत सिर झुकाकर खड़े हो गए।
इसके बाद राजा दशरथ ने राम-राम कहते हुए प्राण त्याग दिए। दशरथ मृत्यु के मार्मिक मंचन को देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गईं। पुत्र वियोग में राजा दशरथ द्वारा किया गया विलाप दर्शकों को भावुक कर गया। मार्मिक मंचन को देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गई।