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पुष्कर सिंह धामी की गूंजती हूटिंग और गदरपुर की सियासत में बदलाव
उधम सिंह नगर की सियासत में अपनी मजबूत पकड़ बनाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गदरपुर में मंच से पूर्व जिला अध्यक्ष गुंजन सुखीजा की जमकर तारीफ की। गुंजन सुखीजा, जो गदरपुर की राजनीति में एक नए चेहरे के रूप में उभरे हैं, ने निकाय चुनावों में काशीपुर से लेकर गदरपुर तक बीजेपी के जिला अध्यक्ष रहते हुए जीत की पताका फहराई। जब धामी ने मंच से कहा, “सियासत की जीत के सूत्रधार हैं गुंजन,” तो इसका असर गदरपुर में साफ तौर पर महसूस हुआ। हालांकि, गदरपुर विधायक ने तीन साल पूरे होने के बाद मुख्यमंत्री धामी के रोड शो और कार्यक्रमों से दूरी बनाई, यह शायद उनकी मजबूरी रही होगी।
गदरपुर की सियासत में अब एक नई दिशा की ओर इशारा किया गया है, और भविष्य में एक नई तस्वीर उभरने की उम्मीद है।
धामी की बढ़ती राजनीतिक पकड़ और आगामी चुनौतियाँ
पुष्कर सिंह धामी की तीन साल में राजनीतिक पकड़ में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। दिल्ली दरबार से लेकर जनता के दिलों तक उनकी पहुंच बनी है, और इसका प्रमाण निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत में देखा जा सकता है। धामी का विजन और राजनीति के प्रति उनका दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से सामने आ चुका है, जिससे कई नेता राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ रहे हैं। परदे के पीछे से कई नाम उभर रहे हैं, और एक राजनैतिक विश्लेषक के अनुसार, गदरपुर की सियासत में बीजेपी दो गुटों के बीच बंटी हुई नजर आ रही है और 2027 की चुनावी रणनीति तैयार कर रही है।
गदरपुर में सियासत की जटिलताएँ और भविष्य के समीकरण
गदरपुर के निकाय चुनावों में कुछ ऐसे नेता भी शामिल हैं, जिनकी नीतियाँ गदरपुर के विकास की बजाय “फूट डालो, राज करो” की राजनीति पर आधारित रही हैं। इन नेताओं की राजनीतिक दुकान अब धीमी होती जा रही है, और इसका कारण 2027 में विधानसभा सीट के लिए संभावित परिवर्तन हो सकता है। पहले गदरपुर कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन कांग्रेस ने दो बार पैराशूट प्रत्याशी उतारकर स्थानीय नेताओं का प्रभाव खत्म कर दिया, जिसकी भरपाई अब तक नहीं हो पाई है।
अब गदरपुर की सियासत में बदलाव आ रहा है, और बीजेपी के लिए यहां राह आसान नहीं है। बीजेपी को आंतरिक संघर्षों से जूझना पड़ रहा है, और कांग्रेस के पास भी कोई मजबूत नेता नहीं है, जो जीत की दिशा तय कर सके। इस समय बंगाली नेता प्रेमानंद महाजन गदरपुर में राजेंद्र पाल सिंह के मुकाबले मजबूत नजर आ रहे हैं।
2027 के चुनावी माहौल में गदरपुर सीट पर नए राजनीतिक समीकरण उभर सकते हैं, और यह सियासी लड़ाई भविष्य में और भी रोमांचक हो सकती है।
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कृष्णा वार्ता, गदरपुर